श्रीमद भगबद गीता सार – श्लोक 1| Geeta Saar | Geeta Gyan

क्या हे गीता ?

दोस्तों गीता महज एक धर्म ग्रन्थ नहीं हे। बास्तविक में गीता प्रभु श्री कृष्ण के द्वारा इस धरा को दिए जाने वाले सबसे अनमोल तोफों मेसे एक हे। दोस्तों हम Geeta Saar के पुरे अध्याय में गीता के सारे श्लोक के बारेमे जानेगे। और हम भगबान श्री कृष्ण के सन्देश को अपने जीवन में उतारने की कोशिस भी करेंगे। 

दोस्तों में खुद को बेहद ही भाग्यबान समझ ता हूँ क्यों के आप सबके समहुख में मुझे गीता जैसे एक पबित्र ग्रन्थ को प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। 

आप गीता को किसी वेद या उपनिषद के तरह मत सॉचीये। आप गीता को अपने मन के सवालों के तरह सोचिये। दोस्तों दुनिया में ऐसा कोई सवाल नहीं हे जिसका जवाब आपको गीता में न मिले। 

इसीलिए मेरा आपसे आग्रह हे गीता को धर्म ग्रन्थ न समझ कर इसे अपने प्रश्नो के प्रतिबिम्ब के तरह पैश करिये। स्वयं को अर्जुन और गीता को प्रभु श्री कृष्ण समझिये। फिर देखिये कैसे आपके सारे प्रश्न खुद ही सुलझ जाते हे। 

तो चलिए आरम्भ करते हे हमारा ये सफर पभु श्री कृष्ण के साथ । 

गीता सार 

दोस्तों जब हम किसी ऐसे स्थिति में फस जाते हे जहांसे निकलना हमे बेहद ही असम्भब सा प्रतीत होने लगता हे। ऐसे ही एक दुभिदा में महाराज धृतराष्ट्र भी फस गए थे। 

महाभारत के युद्ध में अपने खुद के ही परिबार को आमने सामने देख कर बिचलित हो उठे हैं। उनका बिचलित होना भी स्वभाबिक हे। आखिर कौन अपने परिबार को ऐसे लड़ मरता हुआ देखना चाहता हैं। 

उन्होंने संजय से पुछा हे संजय धर्मक्षेत्रे यानि के कुरुक्षेत्र में लड़ने के हेतु एकत्रित हुए मेरे पुत्र और पाण्डु पुत्रों में क्या बर्ता हो रही हे। क्या दोनों में युद्ध आरम्भ होने वाला हे ? ऐसे सबलों से धृतराष्ट्र अपने चिंता को संजय के सामने ब्यक्त कर रहे हैं। 

क्यों के वो जानते थे ये युद्ध धर्म और अधर्म के मध्य हो रहा हे। और वे यह भी जानते थे के उनका पुत्र अधर्म के साथ खड़ा हे। उन्होंने पुत्र मोह में अँधा होकर धर्म का मार्ग त्याग दिया। इसलिए वो संजय को बार बार युद्ध के बारेमे पूछ रहे थे। 

जीबन सार 

दोस्तों जिस तरह गीता में दर्शाया गया हे की धृतराष्ट्र अपने किये गए भूल के बारेमे सोच के चिंतित हे ठीक उसी तरह कई बार हम भी जीबन में जान बुझ कर किसी मोह के चलते गलत कर बैठ ते हैं। 

और चाहकर भी उसके परिणाम को बदल नहीं सकते दोस्तों। इसीलिए किसी भी निर्णय में पहंचने से पूर्ब स्वयं को अछि तरह से टटोल ले। कहीं आप किसी आबेश या फिर मोह के चलते गलत निर्णय तो नहीं ले रहे जीबन में। क्यों की इसके बाद आपके हात मैं और कुछ सेष नहीं बचेगा। 

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