लालच एक बुरी बला | Short Stories For Kids in Hindi

देबोदत्त नाम का एक लालची किसान बिना कोई काम किये ही बड़े बनने का सपना देख रहा था। Short Stories For Kids in Hindi के इस भाग में हम जानेगे कैसे इंसान को ज्यादा लालची होनेसे बचना चाहिए। वरना इसके नतीजे कितने बुरे हो सकतें हे।

देबोदत्त बचपन से ही लालची स्वभाब का था। कहने को तो हटा कटा था पर उसके दिल में हमेसा सिर्फ यही बात चलती के कास उसे बैठे बिठाया कोई बड़ा धन मिल जाये तो उसे और जिंदगी भर काम नहीं करना पड़ेगा। उसकी बीवी भी बड़ी ही कुटिल तथा लालची किसम की औरत थी। दोनों का बस एहि सपना था के वो दुनिया के सबसे आमिर आदमी बने। देबोदत्त का अपना एक खेत था जिसमे वो खेती तो करता पर उससे उसकी पेसो की भूक नहीं मिटती। वो लोगो को किसीने किसी तरीके से ठग के पैसे कामना चाहता था। एक दिन उसने गाऊँ में ये खबर फैला दी के उसके पास सोने के फल देने वाले पेड़ की बीज हे। वो पेड़ सिर्फ ३ महीने में बड़ा होगा।और सोने के फल देने लग जायेगा। 

गाऊँ के कुछ भोले भाले लोग उसके चक्कर में आगये। और उससे वो बिज खरीद लिया। देखते ही देखते देबोदत्त के पास काफी सारे पैसे आगये। वो और उसकी वीबी ये जान कर बेहद खुस थे के उन्होंने गाऊँ वालों से उनका काफी सारा धन लूट लिया हे। समाय रहते दोनों ने चुपके से अपनी जमीन घर सब बैच के अँधेरे रात में गाऊँ से भाग गए।

जब तीन चार महीने बीत गए तो गाऊँ वालों को ये समझने  में ज्यादा देर नहीं लगा के देबोदत्त और उसकी पत्नी ने पुरे गाऊँ को धोका दिया हे। लेकिन अब बहोत देर हो चुकी थी। वो दोनों अपना सारा धन लेके एक दूसरे गाऊँ में बस गए थे। 

गाऊँ के सारे लोग उन दोनों पति पत्नी को एक अच्छा सबक सीखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने गाऊँ के मुखिया से मिले। मुखिया ने एक उपाय बताया उन सबको। मुखिया के योजना के अनुसार गाऊँ के एक आदमी अपने साथ ढेर सारे फल लेके देबोदत्त के घर गया। और उसके घर पहंचते ही वो उसके पेरो में गिर गया। 

देबोदत्त ये देख के हैरान था। फिर भी उसने उस आदमी को अपने पास बिठाया। तभी वो आदमी बोला देबोदत्त जी आप धन्य हो आज आपके वजह से मेरे पास एक सोने के फल देने वाला पेड़ हे। और आज में जो भी हूँ आपके वजह से हूँ।  देबोदत्त ये सुन के हैरान था के जो बिज़ उसने बेकार समझ कर गाऊँ वालों को दे आया था वो असल में जादुई बिज़ निकले। 

और तो और उस आदमी ने देबोदत्त को ये भी कहा के कैसे उसके वजेसे गाऊँ के लोग आमिर बनते जा रहे हे। ये सब सुनके देबोदत्त को लालच आने लगा। वो फिरसे गाऊँ वालों से उनके सारे धन चुराने के चाकर में लग गया। पर इस बार उसे नहीं पता था के गाऊँ वाले पहले से ही उसके खिलाफ योजना बना चुके हे। 

देबोदत्त ने उस इंसान को और लालच देते हुए कहा – अरे वो तो कुछ नहीं था। अगर तुम गाऊँ वाले मुझे अपने सारे सोने के फल बैच दो तो में तुम्हे इसके दुगने दाम दूंगा। देबोदत्त को लगा था ये वेबकूफ गाऊँ वाले उसके बात में  आजायेंगे। 

योजना के मुताबिक वो गाऊँ वाला मान गया। और देबोदत्त से बोला के वो कल ही आके उन सब से सोने के फल ले जाये। योजना के मुताबिक देबोदत्त गाऊँ जाके उन सबसे सोने के फल लेके आगया। 

जब वो घर आया तो उसकी पत्नी बोली अपने तो हमारा सारा पैसा उन सबको दे दिया यहाँ तक के ये घर भी दे दिया अब हम रहेंगे कहाँ ? जायेंगे कहाँ ?

तभी देबोदत्त ने अपनी बीवी से बोलै के अरे में ये सोने के फल बैच के इससे भी अधिक पैसा कमाऊंगा और इससे भी बड़ा घर लूंगा। अगले ही दिन देबोदत्त सरे फल लेके बनिए के पास गया। जैसे ही बनिए ने उन फलो की जाँच की तो उसने पाया की ये सब पीतल के हे। 

ये सब देख कर देबोदत्त वहां जमीं पे बैठ कर सर पकड़ कर रोने लगा। उसे पता चल गया था के गाऊँ वालों ने उसके धोके के वजह से उसके साथ ऐसा किया हे। 

दरसल गाऊँ वालों ने लोहे के फल बना कर उसपे सोने की परत चढ़ा कर देबोदत्त को दे दिया था। लालच में चूर देबोदत्त की साडी बूढी भ्रस्ट हो चुकी थी। और सही गलत को जान नहीं पाया। 

आखिर कर लालच का परिणाम बेहद ही बुरा हुआ। तो बच्चो हमने इस कहानी से क्या सीखा ?

हमे जितनी आबश्यकता हो हमे उतने ही संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। पराये धन पर हमे बुरी नजर नहीं डालनी चाहिए। क्यों के असत उपाय से जो धन अर्जित किया गया हो वो हमे नुकसान ही देती हे। 

 

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