दोस्तों कहते हैं जो चीज़ दफ़्न हो चुकी हो उसे वापस उखाड़ना नहीं चाहिए। खास करके खण्डहर में छुपा हुआ राज़। कुछ राज़ को राज़ ही बनाये रखने में ही सबकी भलाई होती हे। Hindi horror Stories के इस भाग में जानेगे क्या होता हे जब हम एक सैतानी ताकत के साथ छेड खानी करते हे।
कलेज के पास में ही एक खँडहर हुआ करता था। पहले वो एक शानदार हवेली हुआ करती थी। अब उस खण्डहर में सिर्फ और सिर्फ सन्नाटा पसरता हे। अंदर जाना साफ साफ सब्दो में मना था। और कलेज का भी कहना था की जो भी उसके करीब घूमता हुआ दिखा उसे कलेज से निकाल दिया जायेगा।
पर निशांत को रोक के रख पाना मानो जैसे नामुमकिन था। फोटो ग्राफिक का शौकीन निशांत कही न कही जाके अपने पसंद के फटो ले ही लेता था। अपना कैमरा उठाये निशांत निकल पड़ता हे उस खण्डहर के तरफ । अंदर पहंच के उसे पता लगा के ये सब क्या चकर था। क्यों मनाही थी वहां आने जाने पर !
वो जगह बाहत ही ज्यादा गन्दी थी। टूटे फूटे दीवारों पे न सिर्फ मकड़ी के जाले और सीलन थे, वल्कि अजीब बात ये थी के वहां एक अजीबसा सन्नाटा था। याहाँ तक छत पे जो काले कवे बैठे थे वो भी सान्त थे। मौत जैसे इस माहौल में भी निशांत को अपने फोटो खींचने की पड़ी थी।
उसने अपना कैमरा लिया और ढेर सारा फोटो खींचने लगा। और फिर एक दूसरे कमरे में गया। उस कमरे में काई सारे धब्बे बने थे, वहां दीबारों पे। पास में जाके नाखुनो से खुरेद ने पर पाया के वो सारे धब्बे बहोत ज़माने पहले खून से बने थे। और दिलचस्ब बात ये थी के वो खून अभी भी हल्का हलका ताज़ा थे। मनो कुछ ही दिन पहले के हो।
दिवार पे ध्यान से देखने पर पता चला के दीवारों में कुछ लिखा हुआ था ,पर क्या लिखा हुआ था कुछ समझ नहीं आ राहा था। निशांत ने जल्दी जल्दी सारे तस्वीर ली और छुपते छुपते अपने हॉस्टल में पहंच गया। सारे फोटो को लैपटॉप में डाल के चेक करने लगा। जैसे ही उस घर की दीवारों की तस्वीर को उसने खोला तो निशांत उस तसवीर में खो सा गया।
बड़ी बारीकी से वो उन फोटो को देखने लगा। तभी उसके सामने एक फोटो आया जिसमे उससे सिर्फ एक साल दिखाई दिया 1965। फिर आगे और बारीकीसे देखने पर उसे दिखाई दिया एक औरत अपने बची को मार रही थी। इन आंकड़ों को तुरंत ही निशांत ने इंटरनेट पे सर्च करना सुरु कर दिया।
बहोत सारे डॉक्यूमेंट देखने पर आखिर कार एक न्यूज़ आर्टिकल मिला, जो उस घटना से तालूक रखता था। उसमे लिखा था के 1965 में एक औरत जिसका नाम मीरा था उसने पागल होके अपने दो बचो के टुकड़े टुकड़े करके उनको यही पे दफ़न कर दिया था। और खुद भी खुद खुसी कर ली थी । निशांत को मानो ये जैसे कोई कहानी लग रहा था।
वो उन फोटो को इतने बारीकीसे देखने में इतना खो गया था के कब उसके पीछे उसके कमरे का दरवाजा खुला उससे पता भी नहीं चला। पर बाहर से अति हुई ठण्ड हवाएं जब निशांत के चेहरे को चुके निकली तब जाके निशांत को अंदाजा हुआ के उसके कमरे का दरवाजा खुला रह गया हे।
जैसे ही निशांत अपने दरवाजे को बंद करने गया, किसीने उसे बहार से बंद कर दिया। हो न हो जो भी था वो आस पास ही होना चाहिए। निशांत तुरत दरवाजा खोल के कॉरिडोर के और भागा। पर बाहर कोई नहीं था। वहां कोई भी दिखाई नहीं दे राहा था। निशांत ने दरवाजा बंद किया और अपने कमरे में गया।
पर जैसे ही उसने अपने कमरे की और देखा तो उसके आंखे सीधे कुर्शी की और गयी जो दरवाजे की और मुड़ा हुआ था। पर जब निशांत दरवाजा बंद करने गया था तो कुर्सी सीधी ही थी। निशांत कुछ देर तक उसी तरा खड़े होके कुर्शी की और देखता राहा। और सोचता राहा के आखिर कर ये हुआ क्या ? और फिर जब कुछ समझ नहीं आया तो उसने अपना लैपटॉप बंद किया और लेट ने चला गया।
उसने इन सब बातो पर ज्यादा सोचना बंद कर दिया और मोबाइल से दस्तो के साथ चैटिंग करने लगा। कुछ देर तक चाट करने के बाद जब वो सोने गया तो उसके मोबाइल से अभी बी किसी के चाट करने की आवाज सुनाई दी। गरमी के मौसम के वाबजूद उसके हात पैर ठण्ड से कम्पने लगे। उसने धीरेसे मोबाइल को उठाया तो देखा के उसमे बहोत कुछ टाइप होता जा रहा था। उसने मोबाइल को हात में लिया और देखा तो उसे कुछ समझ में नहीं आया। फिर थोड़े देर बाद टाइप होना बंद हो जाता हे। और निशांत को उन अजीबसी लिखाबट में भी वो दो सब्द दिखाई देते हैं जिन्हे उसने खुद कुछ देर पहले पढ़ा था। वो थे माया और 1965। उसने बड़े ही घबराहट के साथ अपने टेबल पर रखे पानी के गिलास को उठाया और पानी के दो बून्द ही मुश्किल से उसके हलक से निचे उतरे होंगे के तभी उसकी नजर दरवाजे की और गयी जहाँ पे एक सुन्दर सी औरत खड़ी थी। निशांत की जान उसके हलक में ही अटकी हुई थी। उसने जो कुछ थोड़ी देर पहले ही पढ़ा था, वो सब उसके आँखों के सामने था। वो औरत धीरे से उसके करीब आयी और उसने बड़े ही प्यार से पुछा ” तुम्हारा नाम क्या हे ? निशांत उसकी आवाज सुनके थोडासा हल्का महसूस किया। उसने धीमी आवाज में रुक रुक के अपना नाम बताया।
“निशांत। ….. निशांत नाम हे मेरा। और तुम्हारा ? उस औरत ने अपना नाम मीरा बताया। इतना बता ते ही उस औरत ने निशांत के गले को कस के पकड़ लिया। और उसका गाला दबाने लगी। निशांत चाहा कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था। धीरे धीरे उसका साँस लेना भी मुश्किल होता गया। आँखों के सामने सब कुछ धुंदला होता हुआ नजर आया। तभी अचानक उसकी नींद टूटी। उसने उठ के देखा तो कमरे में कोई भी नहीं था। आखिर कार उसे चैन मिला। पर अजीब बात थी सपने में उसके हात पैर मारने के वजेसे जो सामान कमरे में बिखरे थे वैसे ही सामान सच में उसके कमरे में बिखरे पड़े थे। उसने तुरंत अपना लैपटॉप खोला और ऐसे सपनो का क्या मतलब होता हे ढूंढ़ने लगा। बहोत ढूंढ़ने के बाद उसे हर जगा एक ही जबाब मिला :-
“अकाल मृत्यु “
वो तुरंत भागा भगा अपने कमरे से निकला और अपने दोस्त के पास पहंचा। बड़े जोर जोर से उसने दरवाजे को खट खटया। उसका दोस्त सतीश ने दरवाजा खोला तो, निशांत बहोत घबराया हुआ हे। उसने निशांत को पानी दिया और उसे अपने बिस्तर पर बिठाया फिर उससे पूरी बकिया सुनी। और जोर जोर से हसने लगा। मतलब के तेरी वाली भूतनी तो कमाल की हे यार। सवाल का सही सही जवाब देने पर भी मारने निकल पड़ती हे। निशांत के लाख समझाने पर भी उसका दोस्त सतीश उसकी कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं था। उसने निशांत को अपने कमरे में सोने के लिए दुबारा से भेज दिया। और खुद भी चैन से सो गया। नीद खुलने के साथ ही सतीश ने हस्टेल के कॉरिडोर में अजीबसा सोर सराबा सुना। दरवाजा खोल के बाहर आके देखा तो उसके धड़कन ठन्डे पड़ गए। निशांत की लाश उसके बिस्तर पर पड़ी थी। और एक कागज का टुकड़ा उस के पास हवा में फड़ फडा रहा था। सतीश ने वो टुकड़ा उठा के देखा तो उसमे लिखा था ” चाहे कुछ भी हो जाये उससे अपना नाम मत बताना। rdhindistories
निशांत के मौत के बाद सतीश एक दम सदमे था। कैसे भी करके उसने एग्जाम दिया और पास भी होगया। पर उसके दिल में हमेसा निशांत की बात रहेगी। अगर उसने निशांत को उस रात अपने साथ रहने दिया होता तो सायद आज निशांत जिन्दा होता। इसी बिच कलेज में नया एडमिशन सुरु हजाता हे। सतीश को रजिस्ट्रशन में बिठा दिया जाता हे। बहत सारे बचे अपना नाम और पता बतातेआते हे और सतीश लिखने लग ता हे । तभी अचानक एक लड़की वाहां फॉर्म भरने आयी। सतीश ने निचे देखते हुए उसका नाम पुछा। उसने काहा “मीरा ” और तुम्हारा। सतीश ने निचे देखते हुए हुए काहा “सतीश”। पर जब सतीश ने पता पुछा तो उसने कहा पीछे वाला खँडहर के गली में । सतीश ने तुरंत ऊपर देखा तो एक लड़का खड़ा हुआ था और कह रहा था ” अरे पुराना खँडहर नहीं पुराना बंदर गाह के पास जो गली हे वहां ”
सतीश जान गया के उससे क्या गलती हुई थी। उसने अपना नाम बता दिया था। उससे। अब उसके पास कम समये था। वो तुरंत भगा अपने कमरे में और सरे ऐसे चीज़ जिसे उसके जान को खतरा हो उन सबको उठा के पीछे के तालाब में फेक आया। दिन भर के थका बट से चूर होके आखिर कार उसे नींद आहि गयी। रात के करीब आधे पेहेर ही बीते होंगे, अचानक उसके पैर के निचे से कुछ आवाज़े आयी। उस आवाज़ से सतीश की नींद टूटी और उसने आंखे उठा के देखा तो एक कटार लेके एक औरत अपने बचो को मार रही थी। ये कोई और नहीं वही थी जिसको इस वक़्त आप सोच रहे हे। अगले ही सुबह सतीश की लाश उसके कमरे में मिली।
1965 में मीरा नाम की एक औरत काला जादू किया करती थी। काला जादू में और ताकत की लालसा ने उसे अँधा बनादिया था। एक दिन उसने पागल पन में आके अपनी दो बेटियों को मर दिया । पर उनको मारने के बाद उससे इस बात का एहसास होता हे के उसने कितनी बड़ी बेवकूफी कर दी हे। और इसी के चलते वो खुद खुसी भी कर लेती हे। और आगे चल के दुबारा कोई ये गलती ना करे इसीलिए जो कोई भी इस घटना के वारेमे या मीरा के बारेमे जान लेता हे या फिर कहीं पर भी उसके बारेमे कुछ पढ़ लेता हे वो उसे मार डालती हे।
“वैसे देखा जाये तो अभी अभी आपने भी उसके वारे मे जान लिया हे। कोई अनजान औरत आपसे नाम पूछे तो कहीं आप उसे अपना नाम मत बता बैठ ना।
” में हूँ रोहित, और आप पढ़ रहे थे ” hindistorybuzz.com – Hindi horror Stories
आपका दिन सुभ हो।