Hindi Novel | दूसरी दुनिया एक रहस्य भाग – 1

HIndi Novel के सीरीज में हम आपको रोचक कहानियो के सफर ले चलेंगे। चाहे वो दो दिलों की प्यार भरी कहानी हो या फिर एक डरावनी भूतिया कहानी। 
 
अक्सर आपने लोगो को ये कहते हुए सुना होगा इंसान के मरने के बाद उसकी आत्मा इस लोक को छोड़ के दूसरी दुनिया में प्रबेश करती हे।  ये कहानी इसी प्रकार के एक घटना के ऊपर आधारित हे। क्या हे ये दूसरी दुनिया और क्या हे इसे जुड़े रहश्य।
 
सुबह सुबह दिल में उठे कुछ सबलो को लेके में निकल पड़ा पिताजी के पास। पिताजी ये दूसरी दुनिया क्या होती है ? क्या हमारे दुनिया के अलावा कोई और दुनिया हे ?
 
ऐसे मेरे कई सारे अनगिनत सवाल ! मेरे सवाल पिताजी को अक्सर दुबिधा में डाल देते थे। इस उम्र में नए चीज़ों के वारेमे जानने की तलब अक्सर दिलो दिमाग पर हावी होजाती हे।
 
तब में महज 8 साल का था। पिताजी हमारे बड़े ही धार्मिक किसम के इंसान थे। साथ ही भूत प्रेत अदि कथाओं में भी पिताजी का बड़ा गहरा ज्ञान था। पर वो अपनी ज्ञान की पेटी को कभी कभार ही खोलते थे।
 
माँ के गुजर जाने के बाद पिताजी की परबारिष में मुझे कभी भी माँ की कमी महसूस नही हुई। पिताजी सुबह होते ही अपने काम में लग जाते। इसी बात का फ़ायदा उठाके में अक्सर उन धूल चढ़ी किताबों को अलमारी से बहार निकल ने की कोशिश में लग जाता।
 
अक्सर निगाहें उन सब्दों पे जाके टिक जाती जिसपे लिखा हुआ होता था “दूसरी दुनिया”। किताब के ऊपर चढ़ी धूल साफ साफ इशारा कर रही थी जैसे किसीने बरसो से इस किताब को छुआ तक नहीं। 
 
मेरी उस किताब को लेके बेचैनी बढ़ने लगी थी। कैसे भी करके मुझे उस किताब को पढ़ना था। पर पिताजी नजाने क्यों ग़ुस्सा होजाते थे जब भी में उसका नाम लेता। पर मुझे इतना तो पता चल चूका था के उस किताब में कुछ ऐसे बिषय पर बताया गया हे जो किसी आम किताबो में नहीं बताया गया हे।
 
पिताजी से  कैसे भी करके उन्हें चकमा देके मुझे वो किताब पढ़ना था। और इसके लिए में हर हाल में तैयार था। एक दिन सुबह जब मेरी नींद टूटी तो मेने पाया के घर पर पिताजी नहीं थे। और तेज़ हवाओं से कुछ टकराने की आवाज़ बार बार मेरे कानो में गूंज रही थी।
 
मेने अचानक देखा की एक कबोर्ड खुला छूट गया हे। उसकी आवाज़ बार बार मुझे परेशान किये जा रही थी।  में तुरंत उसे बंद करने गया तो मेरी नजर उस धूल से सनी लाल रंग की किताब पर पड़ी जिसे पढ़ने को में काफी दिनों से बेताब था । पिताजी ग़ुस्सा करेंगे इस बात की फ़िक्र से ज्यादा मुझे उन रहस्यों को जानने की ज्यादा रूचि थी।
 
किताब को छूते वक़्त मेरे दिल की धड़कने मानो थम से गए हो। नजाने उस किताब में ऐसा क्या होगा ? मेने कबोर्ड से उस किताब को निकला और अपने कमरे में छुपाके रख दिया। पिता जी के आनेसे पहले मेने सब कुछ पहले जैसा बना दिया।
 
दिन भर ठीक वैसा ही बिता जैसे हर दिन बीतता हे। पर मेरा मन उस किताब के बारेमे सोचता राहा, कब पिताजी नींद के आगोश में समा जाए और कब में उन किताबों को पढ़ सकूँ। इस  बात से मेरा मन बेचैन हुए जा रहा था। आखिर कर वो वक़्त भी आया जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था।
 
पिताजी खाने के बाद जैसे ही सोने के लिए गए में तुरंत अपने कमरे में चला आया, और अपने कबोर्ड में से किताब को धीरे से निकाल के सामने रखदिया।  किताब को खलते ही बड़े ही साफ और बड़े बड़े सब्दो में लिखा था :- “इस किताब को पढ़ने की कीमत अदा करनी होगी” ।
 
पर मेरे दिमाग को बस उससे पढ़ना था । मेने उस पन्ने पे दी गयी चेतावनी को नज़र अंदाज़ करते हुए आगे बढ़ा । दूसरी दुनिया ये सब्द मेरे आँखोंके सामने आके रुक गया । किताब को लिखने वाले ने मानो जैसे हर सब्द को अपने खून से लिखा हो।  आगे लिखा हुआ होता है :- हमारे पास जो हे वो बस एक छोटासा हिस्सा भर हे आने वाले कल का।
 
इस्वर ने जान बूझ कर हमें भबिस्य देखने से रोका। ताकि इस्वर से आगे कोई न जा सके। वो सिर्फ हमसे प्यार करने का दिखवा करता है। पर सैतान एसा नही है, वो अपने पास आने वाले को हर वो चीज़ देता है जो उसे चाहोए । बदले में चुकानी पड़ती है एक छोटीसी कीमत।
 
तुम्हे हर वो चीज़ मिल सकती हे जो तुम्हे पसंद हो। तुम्हे सिर्फ सैतान को अपनी दुनिया में लाना होगा। उसे दूसरी दुनिया से बुलाना होगा । खुद को उसे सौप देना होगा । उसे वापस लाना होगा ।  किताबो के इस चक्रब्यूह में  मानो जैसे  में उलझ सा गया। कई सारे सवाल मेरे मन में दस्तक दे रहे थे।
 
दिल में बस एक ही ख्वाइश थी कास में माँ को वापस ला पाता। पिताजी अक्सर कहा करते थे माँ को दूसरे दुनिया के लोग आके ले गए  थे। माँ जब गयी तो में जान भी नहीं सका। आज तक बस माँ की तस्वीर ही नसीब हुई हे मुझे। मनो जैसे दिल में कुछ आस हो की माँ से एक दफा दीदार हो सके। आखिर कर इस किताब में ऐसे काईन राज़ दफन थे जिस्से में जानने लगा था धीरे धीरे। फिर मेरी नजर एक पने पे जाके रुक गयी। जहाँ लिखाथा 
 
“अगर कोई इंसान अपने आप को सेतान को सौप दे तो उसके बदले में सेतान उसकी कोई भी तीन इच्छाएं पूरी करने की ताकत रखता हे। तुम्हे बस अपनी रूह को सैतान के हवाले करना होगा।” 
 
पिताजी को अक्सर मेने एक जगह खड़े हो के दूर दूर तक देखते हुए देखा हे। मेरे पूछने पर मुझे इधर उधर की बाते बताने लगते। मनो जैसे कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे हो। सच कहूं तो मेरी  जिंदगी एक रहस्यों का केंद्र बन चूका था।
 
आखिर मुझे वो किताब मिल ही गया था, जिसकी मुझे बहोत अरसे से तलाश थी। जिससे में कई सारे रहस्यों को सुलझा सकता था। और उन अनगिनत सवालों का जवाब भी पा सकता था। इंतजार था तो सिर्फ एक कदम आगे बढ़ाने का। और वो कदम में ले चूका था।
 
क्या सच में सैतान हमारी तीन ख्वाइशे पूरी कर पायेगा ? ये सवाल अपने आपमें ही एक रहस्य था जिसका जवाब सिर्फ सैतान ही दे सकता था। मेने बिना देरी किये किताब को पढ़ना सुरु करदिया। रोज नए नए चीज़ों से राबता हो चला था।
 
अब तो में उस किताब की आगोश में धीरे धीरे सामने लगा था। कभी कभी नींद टूटने पर खुद को एक अलग ही दुनिया में पाता। में धीरे धीरे आगे बढ़ने चला था बिना अपने अंजाम से वाकिफ हुए। एक सफर की शुरुआत हो चुकीथी जिस सफर का कोई अंत नहीं था। 
 
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