Gita Saar के आज के श्लोक में हम बात करेंगे राजा धृतराष्ट्र के पूछे गए सवाल के बदलेमे संजय के दिए गए उतर के वारेमे। अगर अपने गीता सार के प्रथम श्लोक को नहीं पढ़ा तो नीचे दिए गए लिंक से पढ़ सकते हैं –
श्रीमद भगबद गीता सार – श्लोक 1| Geeta Saar | Geeta Gyan
दोस्तों संजय कोई दिव्य पुरुष नहीं थे। नहीं वो कोई शक्ति साली ब्यक्ति थे। वो तो बस एक साधारण सारथी तथा महाराज धृतराष्ट्र के प्रिय थे जो उनके रथ को संचालन करते थे।
लेकिन जब महर्षि ब्यास ने धृतराष्ट्र को युद्ध देखने के लिए दिब्य दृष्टी देने वाले थे तभी उन्होंने ये शक्ति संजय को देने की अनुरोध की। संजय को जो दिब्य दृष्टि प्राप्त हुई थी उसके चलते वो जो देख रहेथे वही कह रहे थे। आँखों देखा हाल बता रहे थे।

गीता सार
दोस्तों कुरूक्षेत्र में एकत्रित हुए दोनों पक्षों के योद्धाओं के बिच क्या बरता चल रहा हे इसको लेके महाराज धृतराष्ट्र संजय से प्रश्न पूछते हे। इसके उत्तर में संजय कहते हैं, हे राजन युबराज दुर्योधन पंडोबों के द्वारा रची गयी युद्ध ब्यूह को देख रहे हैं। और इस प्रसंग में गुरु द्रोण से बिचार बिमर्श कर रहे हैं।
जीवन सार
दोस्तों इस प्रशंग को अगर हम हमारी जिंदगी इ साथ जोड़ कर देखे , तो हम पाएंगे की अक्सर जब हमे परीक्षा का नतीजा क्या होगा इस पर संदेह हो अथवा हमे हमारी जित पर शंका हो तो हम किसी मित्र को नतीजे देखने को बोलते हैं।
ठीक उसी प्रकार धृतराष्ट्र को संदेह था के युद्ध का परिणाम उनके खिलाप भी हो सकते हैं। इसीलिए असंकित थे। दोस्तों भगवान श्री कृष्ण हमे आगे इसके ऊपर भी चर्चा करते हुए मिलेंगे। तो बने रहिये हमारे साथ भगबत गीता के इस चर्चा में।