एक डरावना सफर-भाग २ | Hindi horror Stories

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एक डरावना सफर-भाग 1 | Hindi horror Stories

अबे तू ये बार बार गाड़ी क्यों रोक लेता हे ?  काहाना गाड़ी साइड से लेले। फिर गाडीको खड़ा करने का क्या मतलब? गाड़ी के रुक जाने के बाद अर्जुन घूसे से बिकास को बोला।

मेने नहीं रोका हे गाड़ी। गाड़ी इस बार अपने आप ही  रुक गयी हे। बिकास बोला। 

अचानक एक सनाटा पसर गया चारो ओर। गाड़ी से उतर ने की किसी की भी हिमत नहीं हो रही थी। अर्जुन ने हिमत करके गाड़ी से उतरने की कोसिस की। तब देखा की गाड़ी का टायर एक खड़े में फसा हुआ था। पर अजिब बात ये थी के इतने बड़े खड़े में फसने के वाबजुत कोई झटका महसूस नहीं हुआ था उन चरों को।

अर्जुन ने सबको दिलासा देते हुए कहा, अरे घबराने की कोई बात नहीं गाड़ी में कुछ खराबी नहीं हे बस एक खड़ा हे सब  मिल के उठालेंगे । पर अजब  बात हे गाड़ी से कोई आवाज़ नहीं आर ही थी। दो तीन बार बुलाने पर भी जब कुछ जवाब नहीं मिला तो अर्जुन ने घुसे से कहा अबे सालों  सबको सांप सूंघ गया हे क्या ?

ये कहते ही वो जैसे ही गाड़ी के आगे आया उसके सामने जो नजारा था उससे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अर्जुन ने देखा की गाड़ी में कोई नहीं था। पूरा गाड़ी खाली पडा था।अर्जुन को अब इन सर्द भरी रातों में भी पसीना आने लगा था। वो एक अनजान खौप से घबराने लगा था। भुत प्रेत के कहानियों पे कभी यकीन न रखने वाला अर्जुन आज एक दम खामोश था। सर्द रातों में अकेले जंगल में होने का एहसास भी अपने आप में डरावना था। इस अबस्था में अर्जुन को चिंता थी तो उसके दोस्तों की।

वो अपने दोस्तों को आवाज देने लग गया। पर उसकी आवाज दूर तक जाने के बाद उस अँधेरे में कहीं गुम हो जाती थी। गाड़ी को छोड़ बिकास अब उस जंगल की और बढ़ने लगता हे, अपने दोस्तों को ढूंढ़ने। उसके पेर कुछ ही कदम बढे होंगे तभी पीछे से आवाज आयी। 

काहाथा न इस रास्ते मत आना। 

अर्जुन तुरन्त पीछे मुड़ा। उसके पीछे बिकाश दिलीप और कमल खड़े थे। उन्हें देख के अर्जुन के होस फाख्ता होगये। अर्जुन ने बिकास का हात पकड़के बोला तुम तीनो कहाँ चले गये थे यार। फिर बिकाश ने जो काहा उसपे यकीं कर पाना सायद ही मुमकिन हो अर्जुन के लिए। बिकाश ने कहा, में, दिलीप और कमल तो गाड़ी में बैठे थे।

पर  तू अचानक पागलों के तरा जंगल की और भाग क्यों राहा था ? इसीलिए हम तीनो को गाड़ी से उतर के तुझे रोकना पड़ा। अर्जुन ये सब सुनके बेहद अजीब लगा। तभी उसकी नजर वहां गयी जहाँ पे गाड़ी राखी हुयी थी। अब गाड़ी वहां थी ही नेही। अर्जुन गाड़ी की और भागा और जैसे ही पीछे मुड़ा वहां कोई नहीं था।

ये क्या बिकास, दिलीप, कमल सब यहीं तो थे अचानक कहाँ गए।

अब सामने कुछ नहीं था। अगर कुछ था तो सिर्फ एक डर का एहसास। अब न गाड़ी थी और न ही अर्जुन के दोस्त। पीछे जा पाना भी अब मुमकिन नहीं था। ठण्ड उससे मारदे इससे पहले वो वहांसे कहीं चले जाना चाहता था। अब अर्जुन को यकीं हो चला था के  उसने बाएं जाने को बोलके कितनी बड़ी गलती करदि थी।

उस सुनसान रास्ते में कुछ दूर चलने के बाद एक गाड़ी दिखी अर्जुन खुस होगया सोचने लगा के सायद ये उन्ही की गाड़ी हो। और थोड़ी दूर आने के बाद अर्जुन कन्फर्म होगया की ये गाड़ी उन्ही की हे। जैसे ही वो भाग के गाड़ी के पास पहंचा तो देखा की गाड़ी में बिकास, दिलीप और कमल की लाश पड़िथी।

कहानी का अंतिम भाग जल्दी आपके सामने होगा। 




 
 
 
 









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