भानगढ़ के वारेमे प्रचलित लोक कथाओ में से जो सबसे ज्यादा प्रचलित हे वो हे रानी रत्नाबाति और तांत्रिक सिंधुदेबड़ा को लेकर। रानी देखने में बेहद खूबसूरत थी। एक बार सिन्धुदेबड़ा की नजर रानी के ऊपर पड़ी। जैसे ही उसने रानी को देखा तो उसने रानी को कैसे भी करके अपने बस में करना चाहा।
इसके चलते उसने रानी को अभिमंत्रित किया गया एक तेल की सीसी देता हे। जिसके चलते जो कोई भी उस तेल को लगता वो उस तांत्रिक की और आकर्षित हो जाता।
ऐसा माना जाता हे रानी रत्नाबाति भी सिद्ध थी। काले जादू पर ज्ञान होने के वजह से वो ये देखते ही समझ गयी की जो तेल तांत्रिक ने उन्हें दिया हे वो अभिमंत्रित हे।
रानी रत्नाबाति तांत्रिक को सबक सिखाने हेतु अपने दासी को बुलाके उसे वो तेल की सीसी थमाते हुए कहती हे इस तेल की सीसी को लेकर किसी जल श्रोत में बहादो । दासी वो सीसी लेके चली जाती हे। मगर रास्ते में गलतीसे वो सीसी एक बिसाल चटान पर गिर जाता हे।
इस वजह से वो बिशाल चट्टान तांत्रिक की और तीब्र गति से आगे बढ़ता हे। तांत्रिक को दूर से देखने पर ऐसा लगता हे रानी उसी चट्टान पे बैठ कर उससे मिलने आरही हे। परन्तु जैसे ही वो चट्टान नजदीक आया तांत्रिक इतना बड़ा चट्टान को देख कर हका बका रह गया।
अपने मृत्यु को करीब देख कर वो घबरा जाता हे। जैसे ही उसे लगता हे अब उसका बचना नामुमकिन हे वो तुरंत ही रानी और पुरे भानगढ़ को तबाह होने का श्राप दे देता हे। उसके श्राप असर कुछ ही दिनों में दिखना सुरु भी हो जाता हे। रानी के नगर में धीरे धीरे करके लोग मरने लगते हे।
रानी को ये समझते देर नहीं लगी के जो भी उसके नगर में हो रहा हे वो उसी तांत्रिक के श्राप हे वजह से ही हो रहा है। ये जान ने के बाद रानी ने नगर खाली करने का आदेश दिया। पर अफ़सोस सभी लोग उस तांत्रिक के श्राप के भेट चढ़ गए। यहाँ तक भी रानी खुद भी नहीं बचा पायी।
हिन्दू सस्त्र में ऐसी मान्यता हे के अगर कोई इंसान प्रतिशोध के अग्नि में जलते हुए मर जाता हे तो उसकी रूह एक भयंकर प्रेत आत्मा का रूप धारण कर लेता हे।
उस तांत्रिक का प्रेत भी उसी का नतीजा था। तबसे लेके अब तक ऐसा माना जाता हे के भानगढ़ के सभी लोगो की आत्मा उसी किल्ले में कैद हैं।
भानगढ़ में ऐसा कुछ भी नहीं था। लेकिन जैसे जैसे साम होता गया उनमेसे एक दोस्त बुरी तरह से कंप कंपा ने लगा। अचानक उसे काफी तेज़ बुखार आगयी।
उनका अंदाज़ा एक दम सही निकला जब गाऊँ के ओझा ने बताया के उस लड़के के साथ एक चुड़ैल किल्ले से बहार आगयी हे। पहले वो लोग ये सब बाते सुनके कुछ समझ नहीं पाए।
फिर सबने उस चुड़ैल से छुटकारा पाने का उपाय पुछा तो ओझा ने कहा के एक सुहागन औरत अगर अपने हातो से एक लाल रंग की साढ़ी उस आदमी को पहना दे तो वो चुड़ैल थोड़े समय के लिए शांत हो जाएगी। और उसी दौरान सधी को निकल कर अगर पबित्र अग्नि में जला दिया जाये तो वो प्रेत को मुक्ति मिल सकती हे।