भानगढ़ एक अनसुलझा रहस्य | Facts in hindi

भानगढ़ एक ऐसी भूतिया जगह हे जिसका जिक्र बहुत सारी किताबों में हुआ है। पर असल मायने में क्या हकीकत है यह जान पाना बहुत ही मुश्किल है। कहते हैं कई सारे अतृप्त आत्मा है भानगढ़ के किले में जो रात को निकलती तो है पर कोई नहीं जानता कि सुबह होते ही वह कहां गायब हो जाते हैं। आज हम Facts in Hindi के इस भाग में बात करेंगे भानगढ़ की। और जानेगे इसके पीछे का राज। 
 
 
रात को जीन आत्माओं का जिक्र होता हे वो सुबह होने पर कहाँ गायब हो जातें हे ये कोई नहीं जनता। पर वहां पर रह रहे लोगों का अक्सर यह मानना है कि रात होते ही भानगढ़ के अंदर अजीब अजीब सी आवाज़े सुनाई देती है उनको। 
 
यूं तो भानगढ़ में हजारों ऐसे किस्से आपको मिल जाएंगे जिन पर यकीन कर पाना वाकई में मुश्किल है । भानगढ़ से जुडी कई सारे कहानी प्रचलित हे। 
 
 

भानगढ़ के वारेमे प्रचलित लोक कथाओ में से जो सबसे ज्यादा प्रचलित हे वो हे रानी रत्नाबाति और तांत्रिक सिंधुदेबड़ा को लेकर। रानी देखने में बेहद खूबसूरत थी। एक बार सिन्धुदेबड़ा की नजर रानी के ऊपर पड़ी। जैसे ही उसने रानी को देखा तो उसने रानी को कैसे भी करके अपने बस में करना चाहा।

 

इसके चलते उसने रानी को अभिमंत्रित किया गया एक तेल की सीसी देता हे। जिसके चलते जो कोई भी उस तेल को लगता वो उस तांत्रिक की और आकर्षित हो जाता। 

ऐसा माना जाता हे रानी रत्नाबाति भी सिद्ध थी। काले जादू पर ज्ञान होने के वजह से वो ये देखते ही समझ गयी की जो तेल तांत्रिक ने उन्हें दिया हे वो अभिमंत्रित हे।

रानी रत्नाबाति तांत्रिक को सबक सिखाने हेतु अपने दासी को बुलाके उसे वो तेल की सीसी थमाते हुए कहती हे इस तेल की सीसी को लेकर किसी जल श्रोत में बहादो । दासी वो सीसी लेके चली जाती हे। मगर रास्ते में गलतीसे वो सीसी एक बिसाल चटान पर गिर जाता हे।

 

इस वजह से वो बिशाल चट्टान तांत्रिक की और तीब्र गति से आगे बढ़ता हे। तांत्रिक को दूर से देखने पर ऐसा लगता हे रानी उसी चट्टान पे बैठ कर उससे मिलने आरही हे। परन्तु जैसे ही वो चट्टान नजदीक आया तांत्रिक इतना बड़ा चट्टान को देख कर हका बका रह गया।

 

अपने मृत्यु को करीब देख कर वो घबरा जाता हे। जैसे ही उसे लगता हे अब उसका बचना नामुमकिन हे वो तुरंत ही रानी और पुरे भानगढ़ को तबाह होने का श्राप दे देता हे। उसके श्राप असर कुछ ही दिनों में दिखना सुरु भी हो जाता हे। रानी के नगर में धीरे धीरे करके लोग मरने लगते हे।

 

रानी को ये समझते देर नहीं लगी के जो भी उसके नगर में हो रहा हे वो उसी तांत्रिक के श्राप हे वजह से ही हो रहा है। ये जान ने के बाद रानी ने नगर खाली करने का आदेश दिया। पर अफ़सोस सभी लोग उस तांत्रिक के श्राप के भेट चढ़ गए। यहाँ तक भी रानी खुद भी नहीं बचा पायी।

 

हिन्दू सस्त्र में ऐसी मान्यता हे के अगर कोई इंसान प्रतिशोध के अग्नि में जलते हुए मर जाता हे तो उसकी रूह एक भयंकर प्रेत आत्मा का रूप धारण कर लेता हे। 

उस तांत्रिक का प्रेत भी उसी का नतीजा था। तबसे लेके अब तक ऐसा माना जाता हे के भानगढ़ के सभी लोगो की आत्मा उसी किल्ले में कैद हैं।

 
और जो कोई भी भानगढ़ में रात को रुक जाता हे ये आत्माये उसे जिन्दा नहीं छोड़ती। भानगढ़ एक अनसुलझा रहस्य से जुडी कुछ कहानिया भी स्थानीय इलाके में प्रचलित हे। मेरे एक मित्र जो राजस्थान में रहतें हे उन्होंने एक घटना का जिक्र किया था। वही घटना में आपके साथ शेयर कर रहा हूँ।
 
 
दिसंबर का महीना था काफी कड़क सर्दी थी, उस वक़्त राजस्थान में । मेरे मित्र  राजगढ़,अलवर ज़िले के रहने वाले हे। उनके मुताबिक एक दफा ३ लोग जो बहार से ए थे चुपकेसे किल्ले के अंदर रुक गए ताकि वो सचाई का पता लगा सके।
 
पूरी रात वो लोग वहां पे रुके ! उन्हें उम्मीद था के कुछ न कुछ जरूर उनके हात लगेगा। पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।  अगले दिन जब वो वहांसे निकले तो उन्हें लगा ये सब एक अफवाह था। 

भानगढ़ में ऐसा कुछ भी नहीं था। लेकिन जैसे जैसे साम होता गया उनमेसे एक दोस्त बुरी तरह से कंप कंपा ने लगा। अचानक उसे काफी तेज़ बुखार आगयी।
 
जैसे जैसे रात ढलती गयी उसकी तबियत बिगड़ती गयी। तभी एक ओझा जो पास में ही थे उनको बुलाया गया। क्यों के गाऊँ वाले समझ गए थे के हो न हो ये किसी प्रेत आत्मा का ही काम हे। 

उनका अंदाज़ा एक दम सही निकला जब गाऊँ के ओझा ने बताया के उस लड़के के साथ एक चुड़ैल किल्ले से बहार आगयी हे। पहले वो लोग ये सब बाते सुनके कुछ समझ नहीं पाए। 

फिर सबने उस चुड़ैल से छुटकारा पाने का उपाय पुछा तो ओझा ने कहा के एक सुहागन औरत अगर अपने हातो से एक लाल रंग की साढ़ी उस आदमी को पहना दे तो वो चुड़ैल थोड़े समय के लिए शांत हो जाएगी। और उसी दौरान सधी को निकल कर अगर पबित्र अग्नि में जला दिया जाये तो वो प्रेत को मुक्ति मिल सकती हे।
 
ठीक वैसा ही हुआ। एक सुहागन औरत अपने हातो से उस लड़के को साढ़ी पहनती हे। फिर ओझा के कहे अनुसार उस साढ़ीको जलदिया जाता हे। फिर अचानक से उस लड़के की तबियत भी ठीक होने लगता हे।
 
दोस्तों ये कहानी कितनी सच्ची और कितनी झूठी हे इस बात की हम पुष्टि तो नहीं कर सकते लेकिन भानगढ़ से जुडी आपको ऐसे हजारो लोक कथाए मिल जाएगी। भानगढ़ आज भी एक रहश्य का पात्र बना हुआ हे। 
 
 
 
 
 
 

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